Inspirational success Story hindi-यह कहानी है, जोधपूर के लूणाराम चोधरी की लूणाराम जब छोटा था उस समय आम बच्चों की तुल्ना में उसको ज्ञान नहीं था। इसी कारण उसको उसकी गली के लोग और उसके दोस्त उसको भोदू नाम से पूकारे लगे, लेकिन लूणाराम जब थोड़ा 6-7 साल का हुआ, तब उसको अपने क्षेत्र में school ना होने के कारण पेरशानीयों का सामना करना पड़ा। स्कूल जाने के लिए 5-6 किलोमीटर रोज़ पैदल जाना पड़ता।
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जब एक बार लूणाराम का दोस्त वह लूणाराम स्कूल के लिए जा रहे थे, तो उसका दोस्त पैदल चलने के कारण बहुत थक गया, और लूणाराम को कुछ समय वहाॅं रूकने को कहाॅं लूणाराम अपने दोस्त को थका देख कर वहाॅं कुछ देर रूकने के लिए तैयार हो गया। फिर वे अपने स्कूल के लिए रवाना हुए। जब स्कूल पहूॅंचे तो बहुत देर हो गई थी। इसी कारण स्कूल के प्रधानाचार्य ने उनको कहा की इस बार तो तुमने देरी की है, अगर अगली बार हुआ तो स्कूल से नाम काट दिया जाएंगा। लूणाराम उनकी बात सुनकर बहुत आघात पहूॅंचा।
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उसने सोचा की अगर स्कूल उसके अपने क्षेत्र गाॅंव में होता, तो आज उनको ये सब परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। उसी दिन लूणाराम ने तयः किया की कुछ भी हो जाएं, मैं अपने क्षेत्र में एक पाठशाल ज़रूर बनाउगा। जिससे हमारे क्षेत्र के बच्चों के पढ़ने की समस्या का हल हो सकेंगा और नज़दीक स्कूल होने से और अधिक बच्चे स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाएंगे।
इस को साचते हुए, लूणाराम कठीन परिक्षम में लग गया। और रात-दिन अपने स्कूले के लिए काम को करने और उसको समझने में लगाने लगा। और उस दिन से लूणाराम का भविष्य ही बदल गया। अब वह अपने स्कूल में टाॅप विधार्थियों की सूची में आने लगा। हर एक विषय में सबसे अवल पूस्तकें ऐसे पढी की एक-एक पेज़ की एक-एक लाईने याद कर दी।
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इसी मेहनत-लगन के साथ लूणाराम ने अपने ज़िले में टाॅप विधार्थी की वरीयता हासिल कर ली। इस लगन को और उसकी तारीफों के चलते प्रधानमंत्री ने लूणाराम से मिलने की इच्छा जाहिर की। जब प्रधानमत्री और लूणाराम की मूलाकात हुई, तो ऐसे ही बातचित में प्रधानमंत्री जी को पता चला की लूणाराम ने इतनी लगन और मेहनत करके टाॅप हासिल करने के पिछे का कारण एक स्कूल की स्थापना अपने गाॅंव में करना है।
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लूणाराम के गाॅंव में कोई विधालय नहीं हैं, और लूणाराम के गाॅंव के बच्चों को स्कूल जाने में कितना संगर्ष करना पड़ता है। यह जानकर प्रधानमंत्री भावूक हो गए, और उन्होंने लूणाराम के गाॅंव में उच्च प्राथमिक विद्धालय की स्थापना की मंजरी दी और सारा खर्चा प्रधानमंत्री कोष से दिया गया। और लूणाराम को उस स्कूल का प्रधानाचार्य की पद पर स्थापित किया गया।
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