Mahatma Gandhi Essay, Biography, Speech in hindi
Full Name | मोहनदास करमचंद गांधी (Mahatma Gandhi) |
जन्म(जन्मस्थान) | 2 अक्टूम्बर 1869 पोरबन्दर, गुज़रात |
माता-पिता | पुतलीबाई, करमचन्द ! |
ख्याति | महात्मा के रूप में वह बैरिस्टरी तथा भारतीय संविधान में, |
विवाह | कस्तूरबा बाई से |
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1869 को पोरबन्दर, गुज़रात में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जो कि जाति से वैश्य था। उनके दादा उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे। आगे चलकर 1847 में उनके पिता करमचंद गांधी को पोरबंदर का दीवान घोषित किया गया। एक-एक करके तीन पत्नी की मृत्यु हो जाने पर करमचंद ने चौथा विवाह पुतलीबाई से किया, जिनकी कोख से गांधीजी ने जन्म लिया। मोहनदास की माँ का स्वभाव संतों के जैसा था। गांधीजी अपनी माँ के विचारों से खूब प्रभावित थे।
Mahatma Gandhi in Hindi
गांधीजी की आरंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई। जहाँ गणित विषय में उन्होंने अपने आपको काफी कमजोर पाया। कई वर्षों के बाद उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वे झेंपू, शर्मीले और कम बुद्धि वाले छात्र हुआ करते थे। सात वर्ष की उम्र में उनका परिवार काठियावाड की अन्य रियासत राजकोट में आकर बस गया। यहाँ भी उनके पिता को दीवान बना दिया गया। यहाँ पर उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूर्ण की। बाद में हाईस्कूल में प्रवेश लिया। अब वे मध्यम श्रेणी के शांत, शर्मीले और झेंपू किस्म के छात्र बन चुके थे। एकांत उन्हें बहुत प्रिय था।
आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं, अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो के स्वतंत्रता दिलाई, उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया, वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती, इस महान इन्सान को भारत में राष्ट्रपिता घोषित कर दिया।
दोस्त के इस कुतर्कों ने मोहनदास को गोश्त खाने के लिए राजी कर लिया। देशभक्ति के कारण उन्होंने पहली बार मांस खाने के बाद वे पूरी रात सो नहीं सके। बार-बार उन्हें ऐसा लगता जैसे बकरा पेट में मिमिया रहा हो। लेकिन थोड़े-थोड़े फासलें पर वे मांस का सेवन करते रहे। माता-पिता को आघात न पहुँचे इसलिए उन्होंने गोश्त खाना बंद कर दिया। वे शाकाहारी बन गये। इस उम्र में उन्होंने धूम्रपान और चोरी करने का भी अपराध किया। लेकिन बाद में रो कर पश्चाताप करते हुए उन्होंने सारी बुरी आदतों से किनारा कर लिया।
पूना के एक युवक ने भीड़ को चीरते हुए अपने लिए जगह बनाई। गांधीजी के नजदीक पहुँचते ही उसने अपनी अटॉमेटिक पिस्तोल से गांधीजी के दिल को निशाना बनाते हुए तीन गोलीयाँ दाग दी। गांधीजी गिर पड़े, उनके होठों से ईश्वर का नाम निकला – ‘हे राम’। इससे पहले की उन्हें अस्पताल ले जाया जाता, उनके प्राण निकल चुके थे। प्रेम का यह पुजारी दुनिया को अलविदा कह गया।
“वह ज्योति चली गई, जिसने लोगों के अंधकारमय जीवन को रोशनी दी। चारों ओर अंधेरा हो गया है। महात्मा गांधी के अनमोल वचन वह सुविचार के लिए यहॉ किलिक करे। हमारे सिर से उनका साया चला गया। ‘बापू’ ने देश को जो प्रकाश दिया था वह कोई सामान्य नहीं था। वह जीवन जीने का मंत्र देने वाली ज्योति थी। उस रोशनी ने देश के कोने-कोने में उजाला फैलाया।
गांधीजी ने अपने दम पर विश्व को यह दिखला दिया कि प्रेम, सत्य और अहिंसा का मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है। इसी का प्रयोग करके उन्होंने देश को आजादी दिलाई। उन्होंने मानवता के लिए अपना बलिदान दे दिया। यह भी सच है कि जिस व्यक्ति ने सबको अपने बराबर समझा, हमारे इस युग में उसके बराबर कोई नहीं था। जितना भी हम उनके बारे में जानते हैं, बस यही कि वह ‘कथनी-करनी’ में एकनिष्ठ रहने वाले थे। सबसे बुद्धिमान, संवेदनशील, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, आशावादी, बेहतरीन, ज्ञानी, चतुर, सिद्धांतवादी थे। ऐसे महापुरुष बार-बार जन्म नहीं लेते। गांधीजी के विचारो पर चलकर देश की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी सुनहरे भारत का सुनहरा इतिहास लिख सकती है।
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