True Hindi Munshi premchand story with Moral
एक गांव में किसान रहता था। उसकी पत्नी का नाम था शारदा। शारदा भूत–प्रेत में बहुत यकीन करती थी। इसलिए स्वाभाविक रूप से वह झाड़–फूंक में भी भरोसा करती थी। इसी तरह के कामों में उसका काफी समय बीत जाता।
उसका पति भोला अपनी पत्नी की इस आदत से परेशान था कि छोटी–सी गड़बड़ी होने पर भी उसकी पत्नी को लगने लगता कि यह जरूर किसी भूत–प्रेत ने किया है। भोला ने शारदा को कई बार समझाया कि भूत–प्रेत कुछ नहीं होते, सिर्फ मन का वहम है… लेकिन शारदा के मन में तो पक्का बैठ चुका था कि भूत–प्रेत होते हैं और सारी गड़बड़ वही करते हैं।
एक दिन शाम के समय उसका पति भोला खेत में पानी देने जा रहा था। उसने शारदा को कहा कि उसे खेत में देर हो जाएगी, इसलिए खाना खेत में ही ले आना…
Hindi Munshi premchand story
शारदा ने खाना बनाया और रात को नौ बजे करीब खाना लेकर खेत की राह पकड़ ली। जब वह खेत के पास पहुंची तो अचानक उसने देखा कि उनके खेत की बाड़ से छायाजैसी एक आकृति उसकी ओर बढ़ रही है। उसने खुद को समझाना चाहा कि यह कुछ नहीं है……लेकिन उसके मन में तो पक्का भूत–प्रेत बैठे हुए थे।
शारदा की चाल धीमी पड़ गई और निगाहें उसी छाया की ओर जम गईं। वह धीरे–धीरे जितना आगे बढ़ती, वह छाया उसे और करीब आती प्रतीत होती।जब वह और पास पहुंची तो अचानक उस आकृति में हलचल हुई और शारदा की चीख निकल गई। उसके हाथ से खाना छूटकर रेत में जा गिरा और उसका चेहरा सफेद???? पड़ गया। वह मानो वहीं जम गई थी, हिल भी नहीं पा रही थी।
भोला ने चीख सुनी तो दौड़ता हुआ आया और देखा कि शारदा वहां खड़ी और खाना रेत में पड़ा है। उसने दो–तीन बार शारदा से पूछा क्या हुआ, तब बड़ी मुश्किल से शारदा ने उस आकृति की ओर इशारा किया और बोली– भ्भ्भूत……. ।
भोला ने उस आकृति की ओर देखा और पूरी कहानी समझ में आ गई। उसने शारदा का हाथ पकड़ा और जबरन उस आकृति के पास ले गया। वहां तक जाते–जाते शारदा ने आंखें भी डर से बंद कर ली थीं। भोला ने उसके हाथ से सहला कर दिखाया कि वह तो आक का पौधा था ना कि कोई भूत।
शारदा को भरोसा नहीं हुआ…… उसने कहा – यह पौधा था तो हिला कैसे?
तभी हवा का झोंका आया और वह पौधा फिर हिलने लगा..… तब भोला ने कहा, अब आया समझ में कैसे हिला?
अब शारदा के समझ में आ गया था कि वास्तव में यह सिर्फ मन का वहम है।
दोस्तो, कठिनाइयां भी ऐसी ही हैं, हम जितनी बड़ी सोचेंगे, उतनी ही बड़ी बनती जाएंगी। इसलिए उनको जीतना सीखिए, उनसे डरना नहीं।
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